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मिश्रौली का चर्चित डोल मेला 1992 में सुर्खियों में आया था

Admin

कुशीनगर (उ०प्र०)



पडरौना कोतवाली क्षेत्र का चर्चित मिश्रौली डोल मेला 1992 में उस समय सुर्खियों में आया था, जब श्रीकृष्ण भगवान के जन्मोत्सव के अगले दिन श्रद्धालु झांकी व डोल निकाल रहे थे। झांकी को लेकर एतराज जताते हुए संप्रदाय विशेष के लोगों ने जहां रास्ते में अवरोध खड़ा कर दिया वहीं इसकी जानकारी पर लोगों के फूटे आक्रोश को काबू करने के लिए जिले भर के थानों की पुलिस को मोर्चा संभालना पड़ा था। आज भी जन्माष्टी के दिन मिश्रौली को लेकर पुलिस-प्रशासन के कान खड़े हो जाते हैं। घटना के बाद से ही इसे अतिसंवेदनशील घोषित कर दिया गया।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 1992 में विश्राम पट्टी के डोल निकालने के रास्ते को लेकर दो पक्षों के बीच विवाद हुआ था। इसे लेकर डोल आयोजकों ने भी रास्ता बदलने से इंकार कर पारंपरिक रास्ते ही डोल ले जाने की जिद पर अड़ गए। हालात बिगड़ते देख पुलिस-प्रशासन ने आयोजकों समेत भगवान श्री कृष्ण व डोल को भी देवरिया जेल भेज दिया था। वर्ष 2003 में प्रशासन ने बीती घटना से सबक लेते हुए डोल को पारंपरिक रास्ते न ले जाकर जबरदस्ती चकमार्ग के रास्ते मिश्रौली भिजवाया। इसके बाद जिले भर से एकत्रित हुए लोगों ने पुलिस प्रशासन की इस कार्यवाही को इक तरफा बताते हुए हंगामा खड़ा कर दिया। वर्ष 2004 में भी डोल निकालने को लेकर हालात इस कदर बेकाबू हो गए थे। इस बार प्रशासन भी अपने जिद पर था और आयोजक भी। अंतत: डोल समिति के लोगों ने डोल को पारंपरिक रास्ते से ले जाने का निर्णय लिया, बाद में प्रशासन को अपने निर्णय से पीछे आना पडा और डोल की सुरक्षा को लेकर पूरी मुस्तैदी दिखाई। हालांकि यह बात दूसरे समुदाय के लोगों को नागवार लगी और विरोध में उधर से पथराव शुरू कर दिया गया। इसकी जानकारी पर जगह-जगह हंगामा शुरू हो गया। जिले के सभी अट्ठारह थानों की पुलिस के मोके पर पहुंचने के बाद भी स्थिति नियंत्रित न हो सकी और विश्रामपट्टी, सनेरामल छपरा, सोहरौना, सिरसिया, पटेरहा, बरकंटी, सहुआडीह, सुसवलिया सहित 16 गांवों में प्रशासन ने क‌र्फ्यू की घोषणा कर दी। विश्रामपट्टी के आस-पास सहित 18 गावों में बने डोल को लेकर आए लोगों को रोड पर ही डोल छोड़कर भागना पड़ा था। जब इस घटना की जानकारी देर रात हिंदू नेता राजेश्वर सिंह, राजन जायसवाल, पिंटू मिश्रा, राधेश्याम दीक्षित सहित दर्जनों मौके का दौरा किए थे, जिन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। चार दिन बाद हिंदू नेता रिहा हुए थे और उनकी पहल पर पुन: उसी स्थान पर डोल मेला लगा था। तत्कालीन आईजी बुआ सिंह मौके पर पहुंचे थे। लेकिन शरारती तत्वों ने उनके गाड़ी पर भी पथराव किया था। शासन ने मामले को गंभीरता से लिया और तत्कालीन जिलाधिकारी रविंद्र, पुलिस अधीक्षक आरके स्वर्णकार, एडीएम रमाशंकर पांडेय, अपर पुलिस अधीक्षक जेपी सिंह, कोतवाल बीआर प्रेमी सहित नौ अधिकारियों को निलंबित किये गए थे।


- इस साल मेले का हुआ शुभारंभ -


मिश्रौली डोल मेला की घटना के बाद से विश्रामपट्टी डोल का उद्घाटन करने के लिए हर वर्ष हिंदू नेता राजेश्वर सिंह व राजन जायसवाल पहुंचते हैं। इस क्रम रविवार को शाम छह बजे मिश्रौली के विश्रामपट्टी के डोला का उद्घाटन किया। इस दौरान राजेश्वर सिंह ने कहा कि जब तक जीवित रहेंगे तक तक इस गांव के डोल का उद्घाटन करते रहेंगे। राजन जायसवाल ने कहा कि हिंदू हितों की रक्षा करना हम सभी का कर्तव्य है।

इस अवसर पर अनेको लोग मौजूद रहे।















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