गंडक नदी पर पुल बनाने की वर्षो से हो रही है मांग,
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सुरजभान कुमार भारती
कुशीनगर (उ०प्र०)
एक लंबे अरसे से चलाई जा रही बहुप्रतीक्षित और बहुउपयोगी ऐतिहासिक कार्य यूपी बिहार बॉर्डर के मध्य गंडक नदी पर पुल सह सड़क निर्माण की मांग का असर अब धीरे-धीरे उदय होते हुए दिखाई दे रहा है।
पुल निर्माण के महत्वा इसलिए है कि यूपी और बिहार के मध्य करीब 8 किलोमीटर के चौडाई वाले रेंज में सैकड़ों किलोमीटर सोनपुर (बिहार) में जाकर मिलने वाली नारायणी/गंडक नदी के कारण राज्यों की तटवर्ती इलाकों का विकास अधर में लटक चुका है। इसका मुख्य कारण यह है कि सीधे 8 किलोमीटर में जाने का कोई मार्ग नहीं है। जबकि ग्रामीणों को इन्ही 8 किलोमीटर जाने के लिए 60 किलोमीटर बाल्मीकि नगर वनक्षेत्र होते हुए पुनः 8 किलोमीटर पर ही आकर सफर पूरी होती है। मतलब महज 10 मिनट का सफर करीब डेढ़ से दो घंटा होता है। जिससे इस सफर में समय और धन दोनों का अपव्यय / दुरुपयोग होता है।
इस नदी पर पुल बनने से 60 किलोमीटर की दूरी सिमट केवल 8 किलोमीटर का हो जाएगा। जिससे यूपी बिहार के सैकड़ो गांव के लाखों लोगों का जो रोटी और बेटी का संबंध है वो और भी मजबूत होता हुवा रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। कम दूरी होने से माल ढुलाई सस्ता होंगे जिससे लोगों को सस्ता सामान भी मिलेगा। बेरोजगार युवाओ को रोजगार का एक अवसर भी मिलेगा। गंडक तटीय क्षेत्र के किसानों की नदी में बेकार पड़ी जमीन उपजाऊ तो होगी जमीनों की कीमत भी मिलना शुरू हो जाएगा।
इस पूल के बनने पर सबसे बड़ा फायदा बगहा गंडक नदी दक्षिण के प्रखंड पिपरासी, दहवा और मधुबनी के सैकड़ो गांव के लोगो का जिला मुख्यालय बगहा के लिए सीधा संपर्क मार्ग हो जायेगा। वाल्मीकि नगर व्याघ्र वनक्षेत्र के जंगली जीव जंतु भी सुरक्षित हो जायेंगे।





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