सुंदरीकरण के नाम पर धननिकासी होने के बाद भी यथास्थिति बरकरार,
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कुशीनगर (उ०प्र०)
सरकार भूगर्भ जलस्तर को मेंटेन करने के लिए जल संरक्षण पर विशेष जोर दे रही है। इस अभियान को मूल रूप देने के लिए शहर से लेकर गांव तक के पोखरे का निर्माण और सुंदरीकरण कराया जा रहा है, कितु जिनके उपर जल संरक्षण अभियान के मुहिम को परवान चढ़ाने की जिम्मेदारी है वही सरकार की इस योजनाओं का पलीता लगा रहे हैं। सरकार के तमाम प्रयास के बाद भी अफसरों की लापरवाही से ग्रामीण क्षेत्र के अनेको परंपरागत पोखरों का संरक्षण नहीं हो पा रहा है।
नेबुआ नौरंगिया विकास खण्ड के ग्राम पंचायत जई छपरा में मनरेगा योजनांतर्गत वित्तीय वर्ष 2021-22 में ढाई लाख रुपये की लागत से साफ सफाई और खुदाई कराया गया पोखरा प्रशासनिक उपेक्षा का गवाह है। रखरखाव के अभाव में वर्षों पुराने पोखरे का वजूद खतरे में पड़ गया है। पूरा परिसर कूड़े करकट और जलकुंभी से भरा हुआ है। पोखरे में पड़े कूड़े की सड़ांध से आस-पास के लोगों का दुर्गंध से जीना दुश्वार हो गया है और उसके गंदगी की वजह से अनेको बीमारियां फैलने की आशंका बनी हुई हैं। बीमारियों को फैलाने में अपना अहम रोल निभाने वाकई मच्छर और मक्खियों का पड़ाव भी बना हुवा है। यहा तक कि पूरे गांव के घरों से निकलकर नाली में मिलने वाला गन्दा पानी भी उसी पोखरे में गिर रहा है।
स्थानीय गांव के ग्रामीण गोपाल बैठा, दिनेश बैठा, गौरी शंकर, राम प्रसाद, चानबली, रामचन्द्र, रामधारी, सुबोध, स्वामीनाथ, विजय और सर्वजीत आदि का कहना है कि कूड़ा करकट से पोखरा पूरा भरा हुवा है, अनेको बार शिकायत करने के बाद भी कोई भी जिम्मेदार इस पर ध्यान नहीं दे रहा है। इस पोखरे की साफ सफाई करवाना जनहित में अति आवश्यक है।
इस सम्बंध में नेबुआ नौरंगिया बीडीओ उषा पाल ने बताया कि यह प्रकरण संज्ञान में नही था। जांच करवाकर उसकी साफ सफाई करवाया दिया जाएगा।
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