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मणिपुर काण्ड के विरोध में अम्बेडकर सेवा समिति ने प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा

Admin

कुशीनगर (उ०प्र०)

“देश में महिलाओं, दलित और आदिवासियों पर लगातार हमले बढ़ रहे हैं। सरकार को इसकी कोई चिंता नहीं है। इसी वर्ग को सुरक्षा की ज़रूरत है लेकिन आज इन्हीं पर सत्ता के संरक्षण में हिंसा हो रही है।”

बुधवार को खड्डा तहसील मुख्यालय पर मणिपुर हिंसा और राज्य में महिलाओं के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को लेकर अम्बेडकर सेवा समिति के प्रदर्शनकारियों ने कहा कि "देश की जनता मणिपुर के साथ है। इसी एकता को दिखाने हम यहां एकजुट हुए हैं।

मणिपुर में संकट का सामना कर रहे लोगों के साथ 'एकजुटता' दिखाते हुए, खड्डा तहसील मुख्यालय पर धरना-प्रदर्शन आयोजित किया गया महामहिम राष्ट्रपति को उपजिलाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन देकर केंद्र सरकार से मांग की गई कि राज्य में सामान्य स्थिति बहाल की जाए। गौरतलब है कि 3 मई, 2023 से मणिपुर जातीय हिंसा से बुरी तरह प्रभावित है, जिसके बाद 150 से अधिक लोगों की मौत हो गई, इसके अलावा घरों का विनाश, धार्मिक स्थान और आजीविका का नुकसान हुआ है। वक्ताओं ने ये आरोप लगाया गया कि तटस्थ एजेंसी के रूप में कार्य करने के बजाय राज्य सरकार ने विभाजनकारी नीति को बढावा दिया है। जिससे इस स्थिति को इस हद तक बढा दिया है। घटनाओं के पूरे अनुक्रम में राज्य की भूमिका जटिल है और यह आपसीे हिंसा के निरंतर होने का मूल कारण है।

आरोप है कि सरकारी मशीनरी राज्य में सामान्य स्थिति वापस लाने में पूरी तरह से विफल रही है। इसके परिणामस्वरूप एक लाख से अधिक लोग पड़ोसी राज्यों के साथ-साथ म्यांमार में शरणार्थी शिविरों में बेहद ख़राब परिस्थितियों में रहने को मजबूर हैं।

उक्त प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे सुभाष गौतम ने अपने बयान में कहा कि केंद्र सरकार असंवेदनशील और विभाजनकारी दृष्टिकोण का त्याग करें और संकटग्रस्त लोगों और पीड़ितों की सामान्य स्थिति, राहत और पुनर्वास की बहाली के लिए काम करें। इसके अलावा स्कूलों को फिर से खोला जाए और इंटरनेट सेवाओं को बहाल किया जाए।"

अन्य नेताओं ने भी सभा को संबोधित किया और मणिपुर की स्थिति पर अपने गुस्से का इज़हार किया।

पूर्व प्रधान रामधनी ने कहा कि देश में महिलाओं, दलित और आदिवासियों पर हमले लगातार बढ़ रहे हैं। सरकार को इनकी कोई चिंता नहीं है। वही (सरकार) इस हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं। इसी वर्ग को सुरक्षा की ज़रूरत है लेकिन आज उन्हीं पर सत्ता के संरक्षण में हिंसा हो रही है।"

आज 83 दिनों से हिंसा जारी है। इसमें महिलाओं को सबसे अधिक निशाना बनाया जा रहा है। आज जब सरकारें उनके साथ नहीं दिख रही हैं तब हम देश के मज़दूर उनके साथ हैं, ये संदेश देने हम आए हैं।

कार्यक्रम के अंत में महामहिम राष्ट्रपति भारत सरकार के नाम एक ज्ञापन सौंपा गया। वक्ताओं ने विभिन्न इलाकों, मज़दूर बस्तियों में कार्यक्रम का आयोजन करके संघर्ष को जारी रखने का संकल्प लिया है।

इस अवसर पर विजय भारती, खदेरू प्रसाद, छट्ठू निराला, नौमी चौधरी, शम्भू गौतम, नागेंद्र गौतम और दिनेश गौतम सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।








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