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कुशीनगर (उ०प्र०)
कम उम्र में ही परिवार की हालत सुधारने के लिए गुजरात गए चारो लड़को के घर की माली हालत बहुत ही दयनीय है। धरनीपट्टी गांव निवासी अर्जुन अपने माता-पिता के साथ छोटी सी झोपड़ी में रहता था। गुड्डू भारती भी झोपड़ी में गुजर-बसर करते थे। इसी तरह नौतार निवासी कुश्वर की भी आर्थिक स्थिति दयनीय है। हथिया गांव निवासी (लापता) मंजेश का परिवार भी झोपड़ी व मजदूरी के सहारे है। अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए कम उम्र में ही घर से बाहर निकल गए थे। जो अब कभी लौटकर नहीं आएंगे।
इस घटना में अपने पति तथा छोटे भाई की मौत की जानकारी मिलते ही अंगीरा पर मानो वज्रपात हो गया हो। उसके करुण क्रंदन से लोगों की आंखें नम हो जा रही थीं। पति व भाई को अंतिम बार देख नहीं पाने के गम में रो-रोकर अचेत हो जा रही है। धरनीपट्टी गांव निवासी गुड्डू भारती की मौत गुजरात के जैतपुर में नदी में डूबने से हो गई। उनके शव का वहीं पर अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस घटना में गुड्डू के साले कुश्वर की भी मौत हो गई थी। उसका भी अंतिम संस्कार कर दिया गया। गुड्डू की पत्नी अंगीरा अपने तीन वर्ष की पुत्री रितु व डेढ़ वर्ष के पुत्र समीर के साथ घर पर थी। वह इस बात से अनजान थी कि अब उसका सुहाग व कलाई पर राखी बंधवाने वाला भाई कभी नहीं आएंगे। देवर जितेंद्र की हिम्मत नहीं हो रही थी कि कैसे बताए, पर इस घटना की जैसे ही जानकारी मिली, अंगीरा अचेत हो गई। वह बार-बार बड़बड़ा रही थी कि रोजी-रोटी कमाने गए थे। ऊपर वाले ने यह क्या कर दिया।
अब बच्चे किसे पापा और किसे मामा कहेंगे। हालात के मारे हुवे इस परिवारजनों को रिश्तेदार और अगल बगल के लोग सात्वना देकर चुप करा रहे थे। वही दो मासूमो को देखकर सबकी आंखे नम हो जा रही थी।
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