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राख के ढेर में मिले पांच शव, रो उठा गांव

माघी मठिया गांव में आग ने मचाई तबाही, अग्नि पीड़ित राख में खोजते रहे बचा सामान,

Admin

कुशीनगर (उ०प्र०)



गांव माघी मठिया समय दोपहर बाद तीन बजे आग की उठती तेज लपटें मन को भेदने देने वाली चीख पुकार व चीत्कार। आग की आगोश में समाते घर-बार सबकुछ आग लूट रही थी, कहर बरपा रही थी, लोग तमाशबीन बनने को मजबूर। इस भयावह तस्वीर के बीच गम के गंभीर रंग ने तो सबको पूरी तरह से झकझोर कर रख दिया, जब एक साथ कमरे से चार मासूम बेटियों व मां का शव बाहर निकाला गया। रेयाज, फिरोज, ईशा व जालिम का घर व उसमें रखा सारा सामान जलकर राख हो गया था। स्वजन सामान के बचने की उम्मीद में राख में हाथ टटोल रहे थे। हालांकि, उनके हाथ कुछ लगा ही नहीं, क्योंकि आग ने कुछ छोड़ा ही नहीं था। जउआद की घर में रखी बाइक जल गई तो आधा से अधिक सामान भी आग की भेंट चढ़ गया। गफ्फार व जालिम के घर के भी एक हिस्से को पूरी तरह से आग ने निगल लिया और काफी नुकसान हुआ। दूसरी ओर शेर मुहम्मद ने तो अपनी पूरी दुनिया ही खो दी। पत्नी फातिमा, बेटियां रुकई, अमीना, आइसा, खतीजा, जलकर मर गयी। माँ मोतिरानी व पिता फसीद और बेटी कुलसुम अस्पताल में जीवन और मृत्यु से जूझ रही है। और वे राख के पास काठ बनकर बैठे थे। और उनके आंख के आंसू तक सुख गए थे। इधर अपनी घर गृहस्थी का रोना रो रहे अग्नि पीड़ितों को जब इस परिवार का दर्द दिखा तो वे अपना गम दर्द भूल गए। सभी उनको ढांढस बढ़ाने में लग गए। मौके पर पहुंचे अधिकारी व जनप्रतिनिधी भी सांत्वना देने में गमगीन हुए बिना नहीं रह सके।



शेर मुहम्मद का घर गांव के एक कोने पर है। पत्नी दिव्यांग थी। उसके छोटे-छोटे बच्चे और बुजुर्ग माता-पिता भी घर पर थे। जब आग लगी तो वे भाग निकले और चीख पुकार मच गई। आग की लपटों और शोर के बीच कमरे में फातिमा और उसके बच्चों की चीख पुकार कोई सुन ही नही सका। आग बुझाने के बाद जब कुछ ग्रामीण घर मे गए तो एक कमरे में पांचो का शव एक साथ मिले। गम्भीर रूप से जले माता, पिता और माशूम बेटी बेहोश मिले। ग्रामीणों का कहना था कि घर के पीछे लोहे की खिड़की था। यदि उन्हें मालूम होता तो उसे तोड़कर इन्हें बचा लिए होते।

ग्राम विकास अधिकारी रामप्यारे चौधरी ने बताया कि किसी ने भी आवास के लिए आवेदन नही किया था और आवास की सूची में एक नाम भी नही था। अब दैविक आपदा के तहत अग्नि पीड़ितों को आवास दिया जाएगा। जिसका कागजी कार्यवाही शुरू कर दिया गया है।



अज्ञात कारणों से लगी आग को लेकर अनेको सवाल उठ रहे है। बगल के घर मे भोजन भी नही बन रहा था। और आग से कोई और काम भी नही हो रहा था तो फिर आग कैसे लगी। इसका जबाब किसी के भी पास नही है।

वही कुछ ग्रामीणों का कहना है कि गांजा पीने के दौरान छिटकी चिंगारी से ही आग लगी है। तो कोई कह रहा है कि किसी ने जान बूझकर आग लगा दिया होगा।

पुलिस अधीक्षक धवल जायसवाल ने बताया कि आग कैसे लगी है इसका भी जांच कराया जाएगा।

आधे घंटे में ही लिख गई तबाही की इबारत

तेज धूप व पछुवा हवा ने आग का ऐसा साथ दिया कि उसने महज आधे घंटे में ही तबाही की अपनी इबारत लिख दी। तीन बजे के लगभ ग आग लगी और साढ़े तीन बजे के आसपास बुझ भी गई। बगल में पक्का मकान होने के कारण वह आगे नही बढ़ सकी। आग बुझाने आ रही फायर ब्रिगेड की टीम रास्ते से ही वापस लौट गई।

पोस्टमार्टम का लोगों ने किया विरोध, समझाने पर माने

फायर ब्रिगेड टीम के समय से नहीं पहुंचने से नाराज ग्रामीणों ने मां व चार बेटियों के शवों के पोस्टमार्टम करने का विरोध करने लगे। उनका कहना था कि न तो पुलिस समय से पहुंची और न ही आग बुझाने की टीम ही आ सकी। समय से बचाव कार्य किया गया तो शायद इनकी जान नहीं जाती। इस पर एडीएम देवी दयाल वर्मा ने कहा कि इसकी जांच कराई जाएगी, जो भी दोषी होगा, कार्रवाई होगी। इसके बाद ही शवों को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया जा सका।

रोज की तरह टेंपो चलाने गया था शेर मुहम्मद

टेंपो चालक शेर मुहम्मद रोज की तरह घर परिवार के लिए खुशियां खरीदने यानी की रोजी-रोटी के लिए निकला था। वह आटो में सवारी लेकर पडरौना से रामकोला जा रहा था। तभी गांव से अगलगी की सूचना मिली। जब वे भागकर घर पहुंचा तो न ही परिवार बचा था और न ही घर। मिले तो केवल तबाही के निशान। वह भी ऐसे कि कभी मिटे भी नही। कोई पूछता तो वह केवल अपने जले घर की ओर निहारता था। अधिकारियों ने भी बात करने की कोशिश की, लेकिन बोलने में उसके लब पूरी तरह से बेबस दिखे। क्योंकि, मन पूरी तरह से गम से बोझिल था, ऐसे में आवाज निकलती भी तो कैसे।

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