Header Ads Widget

Responsive Advertisement

बेधड़क हो रहे हरे पेड़ों की कटान से बाग बगीचों के अस्तित्व पर मंडराता संकट

बढ़ती हुई आबादी से बन रहे घर, मकान व खेतीबारी से सिकुड़ रहे है बाग बगीचे

Admin

सुरजभान कुमार भारती

कुशीनगर (उ०प्र०)

जिले में हरियाली पर संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में हरे पेड़ों की कटान बेधड़क किया जा रहा है और जिम्मेदार आंख मूंदे हैं। कटान के ठेकेदार स्थानीय पुलिस से मिल जुलकर बेखौफ होकर नए और पुराने हरे वृक्षों पर आरा चला रहे हैं। धड़ल्ले से हो रहे हरे वृक्षो की अवैध कटान से बाग बगीचे विरान हो रहे हैं। जबकि प्रत्येक वर्ष पौधरोपण के नाम पर विभाग की ओर से लाखों पेड़ तो लगाए जाते हैं। लेकिन अधिकांश पौधे नजर नहीं आते है। बचे खुचे पेड़ भी विभाग की उदासीनता के चलते प्रति वर्ष भरस्टाचार की भेंट चढ़ जा रहे हैं। मजे की बात तो यह कि वनों की रखवाली के लिए वन रेंज में वाचर, वन दरोगा के साथ ही अन्य कर्मचारी तैनात हैं। इसके बावजूद भी प्रतिदिन हरे पेड़ धड़ल्ले से काटे जा रहे है। अवैध रूप से हो रहे वृक्षो के कटान से न सिर्फ प्राकृतिक संपदा की छति हो रही है। बल्कि क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन की वजह से बरसात में भी तेजी से गिरावट आ रही है। कोरोना महामारी के इस दौर में आक्सीजन की कमी से लोगों को दम तोड़ते हुए भी देखा गया है। लेकिन वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी लापरवाह बने हुए हैं। सूत्रों की मानें तो पेड़ों की कटाई होते समय ही वनकर्मियों को खबर रहती है लेकिन मौके पर कोई वनकर्मी नहीं पहुंचता। जिसकी वजह से अवैध कटान में लगे लोगों के हौसलें बढ़े रहते हैं। समय रहते वनों की कटान पर अंकुश नहीं लगाया गया तो आने वाले दिनों में बाग और बगीचों का आस्तीत्व खत्म होने से इनकार नहीं किया जा सकता।









Post a Comment

0 Comments

दो वाहनो की आपसी भिड़ंत मे चार घायल, मेडिकल कालेज रेफर