वर्तमान की सरकार पीड़ित महिलाओं के ऊपर बढ़ रहे अत्याचार को लेकर जिम्मेदारों को सजग होने का दावा कर रहा है, तो दूसरी ओर नेबुआ नौरंगिया थानाक्षेत्र के पटखौली गांव में अपने पहले पति को छोड़ने और प्रेमी के द्वारा शादी आदि का झांसा देकर यौन शोषण करके धोखा देने और बिगत तीन माह से अपने दो मासूम बच्चों के साथ न्याय के लिए दर दर की ठोकरे खाने वाली सरिता न्याय पाने की एक बार और उम्मीद लेकर मानवाधिकार संगठन से अब न्याय की गुहार लगाई है।
आपको बताते चले कि जनपद के रामपुर जमुनिया निवासी सुखारी प्रसाद की पुत्री सरिता देवी की शादी महिला नगरी निवासी सुरेश पुत्र मोतीलाल से 2009 में हुई थी। तीन वर्ष तक दाम्पत्य जीवन सुखमय रहा, पर एक रात को अचानक बाहर से सरिता का पति अपने घर चला आया। पति के दूर के रिश्तेदार अनुज जो सरिता के पति के पास अकसर आता जाता था। जब सरिता ने उससे मदद की मांग की तो अनुज ने उसके मजबूर हालात का फायदा उठाने लगा। बात जब आगे बफह गयी तो उसने उससे शादी करने का वादा किया और उसे लेकर बाहर में ही सृत सालों तक रहा। पीड़िता सृत के अनुसार अनुज से उसका एक बच्चा भी है। कोरोना काल मे लॉकडाउन लगने के बाद वो मुझे घर लेकर आने की बात कहकर गोरखपुर में ही किराए के एक मकान में साथ लेकर रहने लगा। शारीरिक और आर्थिक शोषण करने के बाद अनुज भी एक दिन बगैर कुछ बताये ही नेबुआ नौरंगिया थानाक्षेत्र के पटखौली गांव में स्थित अपने घर आ गया। किसी तरह से पीड़िता अपने प्रेमी अनुज के घर आई, जहां उसके माता-पिता के द्वारा घर से भगाए जाने के कारण गांव के ही कुछ लोगो के कहने पर गांव के बाहर स्थित शिव मंदिर पर रह कर मजदूरी करके अपना और अपने दोनों मासूम बच्चों का पेट पालने लगी।
अपने पहले पति के और उसके बाद प्रेमी के द्वारा अपनाने और कुछ साल बाद पुनः उसके द्वारा भी ठुकराने से अपने दो मासूम बच्चों के साथ जिंदगी के बीच मजधार में फंसी हुई सरिता को जब स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर जिला स्तरीय अधिकारियों से भी न्याय नही मिला की तो उसने मानवाधिकार संगठन के कुशीनगर प्रभारी सुदामा सिंह पटेल और सदस्यों से अपनी व्यथा को बताते हुवे न्याय की गुहार लगाई है।
मानवाधिकार संगठन के प्रभारी ने उपजिलाधिकारी खड्डा उपमा पाण्डेय से मिलकर महिला को न्याय दिलाने की मांग किया। जिसपर उपजिलाधिकारी खड्डा ने पीड़िता को न्याय दिलाने आदि का आश्वासन दी है।
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