परिवहन विभाग की अनेको कोशिशोें को बाद भी जनपद की लगभग सभी सड़कों पर हजारों की संख्या में वाहन बिना मानक पूरा किए ही सरपट दौड़ लगा रहे हैं। मानकों की अनदेखी कर फिटनेस फेल होने के बाद भी निजी व व्यवसायिक वाहन फर्राटा भरते देखे जा सकते हैं। इसी कारण कई बार सड़क हादसे में लोगों की जान चली जाती है। इन वाहनों का आलम यह है कि माल वाहनों की बाडी मानक के विपरीत है तो काफी संख्या में वाहनों की बैकलाइट ही नहीं है या फिर टूटी हुई है। जिले में जुगाड़ गाडियों के साथ ट्रैक्टर ट्राली व ऑटो भी मानक के विपरीत ही चल रहे हैं। जनपद में हजारों से भी ज्यादा वाहन फिटनेस का मानक पूरा नहीं किये है। इनमें प्राइवेट बस, ट्रैक्टर-ट्राली, डीसीएम, टैम्पो तथा अन्य वाहन भी शामिल हैं। इन अनफिट वाहनों को कारण हर रोज कहीं ना कहीं दुर्घटनाएं होती ही रहती हैं। यसके बावजूद भी सड़कों पर खटारा वाहन बेखौफ होकर चल रहे हैं।
हालांकि कोरोना काल में वाहन चालकों को फिटनेस को लेकर शासन ने कुछ हद तक छूट दे रखा था। लेकिन खटारा वाहन स्वामी यसके अब नाजायज फायदा उठा रहे है। जबकि ये खतरा वाहन लोगों की जान का खतरा बना हुवा हैं। जिले में कामर्शियल वाहनों की हालत सबसे बुरी है। कई वाहनों की बॉडी जर्जर हो गई हैं लेकिन फिर भी वह सड़कों पर बेखौफ होकर चल रही हैं। इसके साथ ही वाहन चालकों द्वारा यातायात नियमों की अनदेखी कर वाहन चलाना खतरनाक साबित हो रहा है। परिवहन विभाग के द्वारा कभी कभार चेकिंग के नाम पर मजह खाना पूर्ति कर दी जाती है। जबकि वाहनों के फिटनेस, परमिट, आरसी व डीएल की वैद्यता खत्म होने की दशा में फिर से प्रमाण पत्र लेना होता है।
परिवहन विभाग की तरफ से व्यवसायिक व निजी दो तरह का फिटनेस प्रमाण पत्र दिया जाता है। नए व्यवसायिक वाहन को दो वर्ष का फिटनेस प्रमाण पत्र दिया जाता है। उसके बाद हर वर्ष उसे फिटनेस प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य होता है।
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