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रेता क्षेत्रवासियो को मिलेगी दुश्वरियों से आजादी

कुशीनगर (उ०प्र०)



नारायणी पार बसे कुशीनगर जिले के खड्डा क्षेत्र के रेता क्षेत्र कहे जाने वाले सात राजस्व गावों को आजादी के 70 साल बाद दुश्वारियों से आजादी मिलेगी। इन गावों को बिहार में शामिल करने की प्रक्रिया तेज हो गयी है। बिहार में बगहा के जिला प्रशासन ने कुशीनगर के इन गावों बिहार में सम्मिलित करने तथा खड्डा तहसील से सटे बगहा बिहार के सात गावों को कुशीनगर जिले में शामिल करने का प्रस्ताव बनाया है। यूपी व बिहार दोनों सरकारों का अनुमोदन मिलने के बाद कुशीनगर जिले के गावों को बिहार तथा बिहार के गावों को यूपी में सम्मिलित कर दिया जायेगा।

कुशीनगर जिले के खड्डा रेता क्षेत्र के नरसिंहपुर, मरिचहवा, शिवपुर, नरायनपुर, बसंतपुर, बालगोविन्द छपरा व हरिहरपुर गांव यूपी से एक तरह से कटे हुए हैं। वहां जाने के लिए महरागंज व बिहार की सीमा में प्रवेश करके जाना पड़ता है। 20 से 25 किमी की अधिक दूरी तय करनी पड़ती है। कुशीनगर जिले से इन गांवों को नारायणी नदी पर बना पीपे का पुल जोड़ता है। पुल साल में चार महीने से चलता है बरसात के दौरान बाढ़ के चलते उसे खोल दिया जाता है। उधर बिहार से इन गांवों में आना आसान है। दूरी भी कम है। इन गांवों को बिहार में शामिल किए जाने की खबर सामने आने के बाद स्थानीय लोग पहचान मिटने की बात कहते हुए विरोध पर उतर आये हैं। गांव के 70 प्रतिशत लोग नहीं चाहते कि इनका यह गांव बिहार में शामिल हो।

वही खड्डा तहसील क्षेत्र से सटे बिहार के मंझरिया, श्रीपतनगर, बैरी स्थान, भैंसही कतकी, नैनहा व मंझरिया खास समेत सात गांव के कुशीनगर जिले में शामिल होने से इन गावों के लोग काफी खुश हैं। इन गावों के लोगों को लगभग 40 किमी की दूरी कर यूपी के रास्ते बिहार बगहा मुख्यालय जाना पडता था। रेताक्षेत्र के गावों में रहने वाले लोगों को बिहार के रास्ते 43 किमी की दूरी तय कर खड्डा तहसील आना पड़ता था।

मरिचहवा व नरायनपुर के प्रधान इजहार अंसारी व नरसिंह प्रसाद तथा ग्रामीण राकेश गुप्ता, नूरहसन, पवन कुशवाहा, उदयभान, लालू भगत, उमेश शुक्ला आदि का कहना है कि भौगोलिक दृष्टि से इन गावों का बिहार में समायोजन होना अचित नहीं है। क्यों कि नदी किनारे बार्डर पर बसे गावों का बार्डर डवलपमेंट एरिया के तहत चयन हुआ है। अगर कुशीनगर के यह गांव बिहार में चले गये तो बार्डर डवलपमेंट के तहत इन गावों को लाभ नहीं मिलेगा। महराजगंज जिले के कुछ गांवों को कुशीनगर में शामिल करने की प्रक्रिया चल रही है।

पिछले कुछ समय से महराजगंज जिले के निचलौल तहसील के सोहगीबरवा सहित तीन ग्राम पंचायत व आठ राजस्व ग्रामों को कुशीनगर जिले के खड्डा तहसील में सम्मलित किये जाने की प्रक्रिया अभी चल रही है। कुशीनगर के गावों को बिहार मे शामिल किये जाने की सूचना पर रेता क्षेत्र के अधिकांश लोग इस फैसले से दुखित है। हलांकि इन गावों को बिहार बगहा तहसील में समाहित हो जाने से वहां के लोगों के लिए भौगोलिक दृष्टि से काफी सहूलियत मिलेगी तो वही सोहगीबरवा के कुशीनगर में सम्मिलित होने से कुछ लोग सोहगीबरवा की पहचान मिटने की बात कह रहे हैं।

जनपदों के बार्डर क्षेत्र के गावों में रहने वाले लोगों के आवागमन के लिए कोई सीधा रास्ता नहीं है। गांव के लोग बिहार नौरंगिया के रास्ते खड्डा व महराजगंज होकर जाते आते हैं। दोनों जनपदों के लोगों की इस समस्या को देखते हुए खड्डा विधायक जटाशंकर त्रिपाठी ने कुछ महीना पूर्व महराजगंज जिले के गावों को कुशीनगर में समायोजन करने की बात मुख्यमंत्री के समक्ष उठाया।

इसी क्रम में विशेष सचिव ने आयुक्त एवं सचिव राजस्व को पत्र भेजकर आख्या मांगी। जिस पर राजस्व परिषद के उप भूमि व्यवस्थापन अधिकारी महेन्द्र मिश्रा ने 29 दिसम्बर को कुशीनगर डीएम को पत्र भेज उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 यथा संशोधित 2016 के तहत नियमानुसार कार्यवाही कर मंडलायुक्त के संस्तुति के बाद परिषद के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करने हेतु निर्देश दिया। इसके बाद जब महराजगंज जिले के निचलौल तहसील की सोहगीबरवा, शिकारपुर, भोथहा सहित आदि राजस्व गांव कुशीनगर जनपद में सम्मलित की प्रक्रिया तेज हो गयी है।

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