जनपद के पांच व्यक्तियों सहित 27 लोग लीबिया में करीब एक वर्ष से फंसे हुए हैं। उन्हें वहां न तो काम ही मिल रहा है और न ही समय से भोजन। इन्हें वापस अपने घर भी नही जाने दिया जा रहा है। तंग आकर एक युवक शरीर पर पेट्रोल छिड़ककर आत्महत्या का प्रयास कर चुका है। इन लोगों ने विदेश मंत्रालय और सोशल मीडिया के जरिए प्रवासी भारतीय मदद समूह से वतन वापसी कराने में मदद मांगी है।
बताया जा रहा है कि कुशीनगर जिले के मंजय निवासी मुड़िला हरपुर, प्रेम प्रकाश यादव निवासी सिधावें, कलामुद्दीन निवासी तमकुहीराज, अशोक साहनी एवं सतीश निषाद निवासी महुआडीह बैदौली और देवरिया जिले के बागाछापर निवासी विनोद पांडेय, अजय निषाद निवासी कुबार टोला, सुनील यादव निवासी पथरहवा, पंकज यादव निनवासी बघौचघाट, रमेश कुमार निवासी छितही बाजार, आजमगढ़ के रसूलपुर निवासी धर्मेंद्र कन्नौजिया, गोरखपुर के यादवेला के शैलेश यादव, मकामपुर के राजेश सोनकर, बिहार प्रांत के गोपालगंज जिले के कालीछापर निवासी प्रिंस सिंह सहित विभिन्न जनपदों के 27 लोग रोजीरोटी के सिलसिले में दुबई गए थे।
वहां पहुंचने पर उन्हें पता चला कि जहां गए हैं, वहां उनके लिए कोई काम नहीं है। उन्हें लीबिया जाना होगा। पहले तो जाने को तैयार नहीं हुए, लेकिन कंपनी ने उन्हें यह कहकर लीबिया जाने के लिए विवश किया कि वहां का प्रोजेक्ट भी उसी कंपनी की है और वहां भी एग्रीमेंट के हिसाब से सबकुछ सही तरीके से मिलेगा। वह सभी चले गए।
11 अगस्त 2020 से लीबिया में हैं। वहां जाने पर पता चला कि उन्हें किसी कंपनी के हवाले कर दिया गया है। पासपोर्ट एवं अन्य दस्तावेज जमा होने के कारण न दुबई में कुछ कर सके न लीबिया में। करीब 11 महीने तक कंपनी ने इनसे काम लिया। केवल जरूरत भर के रुपये देती थी। एक माह से यह लोग वतन वापसी के लिए विदेश मंत्रालय एवं प्रवासी भारत मदद समूह के सदस्यों से सोशल मीडिया के जरिए मदद की मांग कर रहे हैं।
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