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सुरजभान कुमार भारती
कुशीनगर (उ०प्र०)
जल की कीमत वही जानता है जो दूर-दूर से लाकर अपने परिवार को पिलाता हो। हम तो बस नल का टोटी खोली और जल को बर्बाद करते हैं, जबकि हम जल को बचा सकते हैं। बहुत बड़ी आबादी को इंसानी जीवन की बुनियादी शर्त जल से आज भी महरूम रहना पड़ रहा है। जल संकट से आज जिस तरह हालात बन रहे हैं उससे आने वाले समय में जल की महामारी मचनी तय है।
बड़ी आबादी के बोझ और जल के बढ़ते दुरुपयोग के बीच यह खबर संकट पैदा करने वाली ही है कि मौसम में बदलाव के साथ-साथ तापमान में बढ़ोतरी से दुनिया की आधी बड़ी झीलों में जल की कमी होती जा रही है। इस खबर ने अदृश्य संकट की तरफ इशारा किया है, जिसे समझा जाना अत्यंत आवश्यक है।
आज पूरी दुनिया बढ़ते तापमान की शिकार है इसी वजह से अप्रत्याशित गर्मी का सामना कर रही है। वैज्ञानिक इस तथ्य को जाहिर कर चुके हैं कि आने वाले कुछ सालों में गर्मी का पारा सहनशीलता के बाहर चला जाएगा। यह सोचने वाली ही बात होगी कि जब मनुष्य इसे सहन नहीं कर पाएगा तो जल इसके आगे कितना टिकेगा.? ऐसे में जल स्रोतों की हालत क्या होगी.?
इस बात पर भी गौर करना जरूरी है कि नदियों से ज्यादा झीलों के जल का दैनिक जीवन में उपयोग अधिक होता है, तब जल और मानव जीवन कितना संघर्षपूर्ण होगा.? इससे पहले कि हालात और गंभीर हो जल का पुनर्भरण और उसके संग्रहण पर जमीनी प्रयास बहुत ही जरूरी है।
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