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सुरजभान कुमार भारती
कुशीनगर (उ०प्र०)
किशोरावस्था के दौरान बच्चियां अनेकों शरीरिक और मानसिक परिवर्तन से गुजरती हैं। और संकोच वश इस दौरान हो रही दिक्कतों को साझा नही कर पाती। इन परिवर्तनों के प्रति बच्चियों को जागरूक करने तथा तैयार रहने के उद्देश्य से, नयी दिशा पर्यावरण सेवा संस्थान के द्वारा नपा० कुशीनगर के वीर सावरकर नगर स्थित संविलियन विद्यालय सबया में मंगलवार को बच्चियों के साथ "झिझक छोड़ो, खुलकर बोलो" कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बच्चियों को संबोधित करते हुए बुद्ध पीजी कॉलेज कुशीनगर के शिक्षाशास्त्र विभाग की अध्यक्ष प्रो० उर्मिला यादव ने कहा कि बच्चियों और महिलाओं की अधिकांश समस्याओं की शुरुआत उनकी चुप्पी और झिझक से होती है। झिझक के कारण बाहर की बात तो दूर घर के अंदर अपनों के बीच भी बच्चियां व महिलाएं अपनी बात खुलकर नही रखती, जबकि अब समाज बदल रहा है और महिलाओं के साथ है, बशर्ते समस्या सामने आनी चाहिए। इसलिए बच्चियों कोई भी दिक्कत हो तो खुलकर बोलो। विद्यालय की शिक्षिकाओं सहित घर के बड़ों से पूछो संस्था की अध्यक्ष और बुद्ध पीजी कॉलेज कुशीनगर में मनोविज्ञान की प्रोफेसर सीमा त्रिपाठी ने कहा कि किशोरावस्था में जो परिवर्तन आते हैं उनमें एक बड़ा परिवर्तन मासिक का आना है। मासिक आने पर बच्चियां और महिलायें शर्म और कभी कभार ग्लानि की भावना महसूस करने लगती हैं। जबकि यह सम्पूर्ण स्त्रीत्व की पहचान है। मासिक का आना सृष्टि के सृजन का संकेत है। यह शरीर की पूर्णता को दर्शाता है। इसलिए कभी भी मासिक के दौरान स्वयं को हीन भावना से न जोड़े और कोई भी दिक्कत होने पर खुलकर बात करें। इस दौरान बच्चियों को साफ सफाई और पोषण युक्त खानपान के बारे में भी जानकारी देते हुये सेनेटरी पैड भी भेंट किया गया। कार्यक्रम का संचालन करते सचिव डॉ० हरिओम मिश्र ने कहा कि जूनियर विद्यालय की बच्चियां किशोरावस्था में होती हैं या प्रवेश करने वाली होती है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य उन्हें किशोरावस्था के दौरान होने वाले शारीरिक और मानसिक परिवर्तनों से अवगत कराना है, ताकि आकस्मिक परिवर्तनों के लिए वो पूर्व से तैयार रहें। उपस्थित लोगों का स्वागत प्रधानाध्यापक अशोक कुमार और आभार शिक्षिका शशि प्रभा सिंह ने किया। इस अवसर पर कुमुद सिंह, नीतू सिंह, श्वेता पटेल, बसंती देवी, शीला देवी, कृष्णानंद दुबे, विनीत शुक्ल और राजू आदि उपस्थित रहे।
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