शहरों के प्रतिष्ठित डाक्टरो के नामो की बोर्ड लगाकर खुद ही कर रहे है इलाज
एके० यादव
पड़रौना, कुशीनगर (उ०प्र०)
नेबुआ नौरंगिया क्षेत्र में गांव से लेकर क्षेत्र के लगभग सभी मुख्य चौक और चौराहों पर झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है। जिसका आलम यह है कि एक-एक गांव में तीन से चार दुकाने इन डाक्टरों के द्वारा चलाये जा रहे हैं और ये बगैर किसी डिग्री के छोटे बड़े हर मर्ज का इलाज इनके यहां कर दिया जाता है। यदि मरीज थोड़ा ठीक भी है और इनके इलाज से अगर वो और बीमार भी पड़ जाए तो इससे इनको कोई परवाह नहीं है क्योकि इनका लक्ष्य सिर्फ चंद पैसे कमाना ही होता है। यही वजह है कि आए दिन गरीब तबके के लोग इन डॉक्टरों के अनुभवविहीन इलाज के शिकार होकर अपनी जान तक गंवा देते हैं। इसके बावजूद भी ऐसे डॉक्टरों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही नही किया जाता है। कभी कभार केवल महज कागजी कोरमपूर्ती हेतु हजारो दुकानों में से किसी एकाद की जांच या फिर सील कर दिया जाता है। सटीक कार्यवाही नही होने के कारण ही इनकी दुकानें दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रहीं हैं। इतना ही नही इन क्षेत्रों मे अनेको जगह बगैर रजिस्ट्रेशन वाले डॉक्टर क्लीनिक खोल लिए है। जिनके बोर्ड और बैनरो पर बड़े शहरों के नामी गिरामी डाक्टरो के नाम और उनकी डिग्रियां छपी होती है। ग्रामीण या शहरी क्षेत्रो में स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत स्वास्थ्यकर्मियों और अच्छे खासे कमीशन पर रखे गए एजेंटो के द्वारा बेहतरीन और सस्ता इलाज आदि का झांसा देकर मरीजो या उनके परिजनों को अपने बातों के जाल में फंसाकर उनका उक्त क्लिनिक में भर्ती करवाकर उनका धनादोहन करने के साथ ही उनका मानशिक उत्पीडत भी किया जाता है। भर्ती हुवे मरीज का इलाज भगवान भरोसे ही किया जाता है। मरीजों को लुभाने के लिए बड़े डॉक्टरों की तर्ज पर ये अनेको प्रकार के जांच भी करवाते हैं और जांच के आधार पर मरीज का इलाज करते हैं, जिससे मरीज को लगे कि डॉक्टर सही हैं एवं उनका इलाज सही तरीके से किया जा रहा है। इन क्षेत्रों के लगभग हर चौराहा में एक-दो फर्जी क्लीनिक और जांच लैब धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं। इन लोगो ने इस धंधे को और लाभदायक बनाने के लिए गोरखपुर के अलावा अन्य और जगहों के कुछ निजी अस्पतालों से भी सांठगांठ कर लिए है। इनके इलाज के दौरान मरीज की हालत ज्यादा गंभीर होने पर ये उन्ही हॉस्पिटलों में रेफर कर देते हैं। जहां से उन्हें उनके इलाज के दौरान अच्छा खासा कमीशन मिल जाता है। ग्राम स्तर पर कई सालों से अंगद की तरफ पावं जमाये बैठे ये वहीं दवा लिखते है जिनमें उन्हें कमीशन मिलता है। स्वास्थ्य विभाग एवं प्रशासन को जनपद के सभी क्षेत्रों में फर्जी डॉक्टरों के द्वारा अबैध रूप से संचालित कितने हॉस्पिटल है उसका भी कोई आंकड़ा नही है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत स्वास्थ्यकर्मियों के सह पर ही ये अबैध रूप से हॉस्पिटल संचालित किये जा रहे है। भर्स्ट कर्मियों और जिम्मेदारों के लापरवाहियों का ही भरपूर फायदा उठाते हुवे दिन प्रतिदिन जनपद के किसी न किसी कोने में दवा की दुकान, हॉस्पिटल या लैब खुल रहे है। यदि शीघ्र ही फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही नहीं किया गया तो महज कुछ ही सालों में इनके संख्या में काफी वृद्धि हो जाएगी और मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ होता रहेगा। स्वास्थ्य विभाग एवं प्रशासन को उक्त प्रकरण में समय समय पर एक अभियान चलाकर उचित कार्यवाही करनी चाहिए, जिससे आम जनमानस को फर्जी डॉक्टर के चुंगल से बचाया जा सके।
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