स्व० मुलायम सिंह यादव के प्रथम पुण्यतिथि पर वृक्षारोपण करने सैफई निकला वन मित्र जितेन्द्र यादव,
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कुशीनगर (उ०प्र०)
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सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के प्रथम पुण्यतिथि पर कुशीनगर के दो युवक साइकिल से सैफई जाने के लिए रवाना हो चुके है। दोनों युवक वहां वृक्षारोपण करने के बाद अखिलेश यादव से मुलाकात करेंगे। अपने साइकिल यात्रा के 11वे दिन लगभग 500 किमी की दूरी तय करके कानपुर देहात के महमूदपुर सिकन्दरा में स्थित एक ढावे पर रात्रि विश्राम के लिए रुके हुवे है।
नेबुआ नौरंगिया विकास खण्ड के मठियाधिर गांव निवासी जितेन्द्र यादव 'गोपाल' व धर्मु गोंड अपने गृह जनपद से सैफई के लिए साइकिल यात्रा पर निकले है। क्षेत्र में लोग इन्हें वृक्ष-मित्र के नाम से भी जानते है। स्व० मुलायम सिंह की पहली पुण्यतिथि 10अक्टूबर को है, उनके समाधि स्थल के इर्द गिर्द अपनी नर्सरी से साथ ले गए तीन पेड़ लगाएंगे। स्व० मुलायम सिंह को श्रद्धांजलि देने 21 सितम्बर दिन गुरुवार को दोपहर के दो बजे बभनौली चौराहा (कुशीनगर) से अपने पुरानी साइकिल पर 7 फिट की ऊँचाई वाले बरगद, पाकड़ और पीपल का एक एक पौधा बांध के निकले है। 50 वर्षीय जितेंद्र यादव को क्षेत्रीय लोग वृक्ष मित्र के नाम से भी जानते है और अनोखे रूप में अपने नेता को श्रद्धांजलि देने जा रहे हैं। उन्होंने अपनी इस साइकिल यात्रा और श्रद्धाजंलि देने का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण के लिए पेड़ पौधों को लगाना और उसके संरक्षित करने का संदेश देना है। एक सवाल के जबाब में वन मित्र ने बताया कि हमारी आर्थिक स्थिति सही होने के कारण अपनो और मित्रो से कर्ज लेना पड़ा। साईकिल यात्रा की बात जब कुछ लोगो ने सुना तो अपने स्तर से कुछ आर्थिक मदद और खाने पीने आदि की वस्तुओं को दिया। आगे उन्होंने बताया कि जहा शाम होती है वही पर किसी के घर मे शरण लेकर वही पर विश्राम कर लेते है। कुछ जागरूक लोग खाने पीने का इंतजाम कर देते है। नही होने पर किसी ढावा पर अपने पैसों से कुछ खा पीकर रात गुजार लेते है। हरे रंग का टी-शर्ट पहने और साइकिल पर तिरंगा बांधकर अपनी यात्रा के उद्देश्य का एक छोटा सा बोर्ड लगाकर निकले वन मित्र प्रतिदिन 50 से 80 किमी तक के दूरी का सफर तय करते है। वह सैफई जाकर अखिलेश यादव से मिलने के बाद अपने नेता जी को श्रद्धांजलि देने के बाद साइकिल से ही अपने गृह जनपद लौट आयेंगे।
खबर लिखे जाने तक वो अपने साइकिल यात्रा के 11वे दिन लगभग 500 किमी की दूरी तय करके कानपुर देहात के महमूदपुर सिकन्दरा स्थित एक ढावे पर रात्रि विश्राम करने के लिए रुके हुवे थे।
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