स्थानीय लोगो के अलावा के देश के अनेको जनपदों से आये थे सैकड़ो श्रद्धालू
सुमित कुमार
नेबुआ नौरंगिया, कुशीनगर (उ०प्र०)
जय गुरुदेव का शाकाहार-सदाचार मद्यनिषेध और आध्यात्मिक जनजागरण यात्रा सोमवार को अपराहन 3बजे के करीब विशुनपुरा विकास खण्ड के नरचोचवा गावँ के गुलरिहा में स्थित रामबचन इंडियन पब्लिक स्कूल के खेल के मैदान में पहुँके। जहां पर जय गुरुदेव के अनुवाईयो ने पटाखे फोड़कर ढोल और नगाड़े आदि बजाकर इनका स्वागत किया।
संस्थाध्यक्ष पंकज जी महाराज ने श्रद्धालुओं को सत्संग महिमा, शाकाहार-सदाचार, चरित्र निर्माण और रूहानी मण्डलों के बारे में विस्तार से बताया।
‘‘ज्यों तिलमाही तेल है, ज्यों चकमक में आग, तेरा साईं तुझमें है, जाग सके तो जाग’’
पंक्ति को उद्धृत करते हुये कहा कि जिस प्रकार तिल में तेल और पत्थर में आग छिपी होती है। उसी प्रकार परमात्मा सबके अन्दर छिपा हुआ है। परमात्मा जब भी मिलेगा मनुष्य के अन्दर मिलेगा। वह न बाहर किसी को मिला और न ही कभी मिलेगा। इसके लिए सत्गुरु से सुरत-शब्द (नाम) का रास्ता लेकर अभ्यास करना पड़ेगा। जब आप ध्यान, भजन करोगे तो आपकी जीवात्मा देवी-देवताओं का दर्शन करेगी। साधक भजन, ध्यान के द्वारा शरीर में फैले जीवात्मा के प्रकाश को जब नीचे के चक्रों से खींचकर दोनों आंखों के मध्य ऊपर दसवें द्वार में एकत्रित कर लेता है, तब सही अर्थ में आप विजयादषमी मनाओगे। तब मन रूपी रावण मरेगा। जैसे शंख की आवाज ऊपर के देव लोकों को पार करती हुयी आद्या महाशक्ति के लोक में जाती है। इनके ऊपर सहसदल कंवल में राम, ईश्वर और खुदा का दर्शन करती है। सन्त सहसदल कंवल स्थान को अयोध्या कहते हैं। राम ही तीन लोक के मालिक हैं। इसके ऊपर त्रिकुटी देष है। उसके मालिक ब्रह्म हैं। यहीं से मन, माया और वेद की उत्पत्ति हुई है। वह पूरा ब्रहमाण्ड लाल है। जो साधक साधना करके यहां तक पहुंच जाता है उसे योगेश्वर कहते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ब्रह्म देष में वास करते हैं। व्यास, वशिष्ट और बाल्मीकि की पहुंच यहीं तक थी। इनका दर्शन करने के बाद जीवात्मा आगे के शब्द को पकड़कर तीसरे मण्डल शून्य यानि अक्षर देष में पहुंचती है। जहां पर अमृत का सरोवर है। जिसे मानसरोवर कहते हैं। जब सुरत उसमें स्नान कर लेती है तो उसमें सोलह सूर्य के बराबर प्रकाश आ जाता है और हंस रूप हो जाती है। फिर साधक चौथे मण्डल के शब्द को पकड़कर चौथे मण्डल महाकाल देष होते हुये पांचवे मण्डल सचखण्ड पहुंच जाती है। सारी जीवात्मायें शब्द के द्वारा यहीं से नीचे उतारी गयी हैं और शब्द के द्वारा ही अपने देश वापस जायेगी। ये जीवात्मा का अपना घर है। पूज्य महाराज जी ने आन्तरिक रचना पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि धर्म शास्त्रों को पढ़ते रहते तो शरीर के अन्दर बैठी हुई जीवात्मा के बारे में विचार आता कि हम कौन हैं, इसके पहले कहां थे और शरीर छूटने के बाद कहां जायेंगे। मनुष्य इन्द्रियों के भोगों में फंसकर अपनी सनातन विद्या को भूल गया। हमारे गुरु महाराज बाबा जयगुरुदेव जी महाराज शाकाहार-सदाचार के प्रचार पर विशेष जोर दिया। इसी से देश दुनिया में परिवर्तन होगा। यह कर्म भूमि है। यहां पर जो जैसा कर्म करेगा उसे वैसा ही फल मिलेगा। इसलिये आप लोग अच्छे समाज के निर्माण में अपने तन, मन का योगदान करें। इसका अच्छा फल आपको मिलेगा।
उन्होंने जयगुरुदेव आश्रम मथुरा में आगामी 11से15 जुलाई तक आयोजित गुरुपूर्णिमा पर्व पर आने का निमन्त्रण दिया।
एक सवाल के जबाब में उन्होंने बताया कि कुशीनगर जिले में यह सत्संग समारोह प्रत्येक विकास खण्डवार 10 जून से 16 जून तक सुबह और शाम में आयोजित किया जा रहा है। शांति व्यवस्था में स्थानीय पुलिस प्रशासन ने सहयोग किया।
इस अवसर पर जिलाध्यक्ष सवरूँ चौधरी, सुरेश चौरसिया उपाध्यक्ष, नन्हेंबाबू महामंत्री, रामश्री चौहान मंत्री, उमेश चन्द्र गुप्ता कोषाध्यक्ष, अर्जुन कुशवाहा तहसील अध्यक्ष, आत्माराम ब्लाक अध्यक्ष, संजय मिश्र प्रबंधक पब्लिक स्कूल, रामवृक्ष भगत, राजू कुशवाहा बीडीसी, राजनारायण कुशवाहा, श्यामसुन्दर चौहान, पारस कुशवाहा, जोगिन्दर सिंह प्रधान तथा संस्था के महामन्त्री बाबूराम यादव, प्रबन्धक संतराम चौधरी, संगत दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष विजय पाल सिंह, संगत बिहार प्रदेश अध्यक्ष मृत्युन्जय झा, म.प्र. महासचिव बी.बी. दोहरे, प्रबन्ध समिति सदस्य अनूप कुमार सिंह, नानक जी, रामचन्द्र यादव और सतीश उपाध्याय आदि उपस्थित रहे।
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