अपने ससुराल वालों से दोबारा प्यार पाकर खुशियो से छलक उठी नवविवाहिता की आंखे,
बाँदा (बुंदेलखंड)
विधवा पुनर्विवाह को आज के दौर में भी समाज का बड़ा वर्ग इसे अशुभ मानता है। बांदा में अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा ने इस सामाजिक बुराई को मिटाने की दिशा में एक बेहद सराहनीय पहल की है। अपनी विधवा भाभी के साथ सगे देवर ने सात फेरे लेकर पूरे समाज को बड़ा संदेश दिया, जो इस शादी की हर तरफ प्रशंसा हो रही है। समाज का एक वर्ग इसे एक नई सकारात्मक पहल के रूप में देख रहे हैं।
इस शादी की पूरी औपचारिकताएं धूमधाम और खुशी पूर्वक पूरी की गईं। दोनों पक्षों के सैंकड़ों लोगों ने वर-वधू को आशिर्वाद दिया। उनके नए जीवन की शुरूआत के लिए शुभकामनाएं दीं। सब कुछ ऐसे हुआ, जैसा पहली शादी में होता है।
मैरिज हाल में विवाह की सारी रस्में पूरे शानों-शौकत के साथ सम्पन्न हुई। जबकि बुंदेलखंड में आज विधवा या पुनर्विवाह को बहुत मान्यता नहीं है। अब बांदा में क्षत्रिय महासभा ने इस पुरानी मान्यता को दरकिनार करते हुए समाज को एक मजबूत संदेश दिया है। उम्मीद की जा रही है कि इससे लोगों की सोच बदलेगी। दरअसल, शहर के शुभम सिंह उर्फ मनीष के भाई का निधन हो गया था।
उनकी कुछ समय पहले ही शादी हुई थी। ऐसे में उनका परिवार दोहरे दु:ख से जूझ रहा था। उनकी विधवा भाभी वंदना सिंह का जीवन भी दो राहे पर आ खड़ा हुआ था। परिवार के बड़ों ने सुखद फैसला लिया। आखिरकार शुभम और वंदना आपस मे दाम्पत्य बंधन में बंध गए।
वधू वंदना का कहना है कि उनको अपनी ससुराल में भरपूर प्यार मिला। कई बार तो मायके से भी अच्छा व्यवहार हुआ। उन्होंने खुशी जताई कि दोबारा इसी परिवार का प्यार उनको मिल रहा है।
वहीं शुभम सिंह ने कहा कि वंदना ने बहू के रूप में पूरे परिवार का दिल जीत लिया था। उनके भाई के निधन के बाद परिवार के साथ-साथ उनके जीवन में भी निराशा थी। अच्छी सोच के साथ नया जीवन शुरू किया है। उधर, क्षत्रिय महासभा के जिलाध्यक्ष नरेंद्र सिंह परिहार का कहना है कि महासभा के तमाम पदाधिकारियों ने वर-वधु दोनों को आशीर्वाद दिया है। उन्होंने कहा कि यह समाज के लिए बड़ा संदेश है।
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